Saturday, 29 July 2017

rajasthan ASI HINDI part 1

                                                               वर्ण विचार 
किसी भाषा के व्याकरण ग्रंथ में इनतीन से तत्वों की विशेष एवं आवश्यक रूप  विवेचना  की  जाती है


 1 वर्ण 2 शब्द  3 वाक्य
1 हिंदी में वर्ण 44 होते है जिन्हे दो भागो में बाटा है स्वर और व्यजन 


1 स्वर =ऐसी ध्वनिया जिनको उच्चारण करने में अन्य किसी ध्वनि की सहायता की आवश्यकता नहीं होती  उन्हें स्वर कहते है
       स्वर 11 होते है अ,आ,इ ई उ ऊ ए ऐ ओ ोो ऋ
इन्हे दो  भागो  बाटा जा सकता है ह्स्व  एवं दीर्घ

जिन स्वरों के उच्चारण में अपेक्षाकृत कम समय लगे ,उन्हें ह्स्व स्वर एवं जिन स्वरों को बोलने में अधिक समय लगे  उन्हें दीर्घ स्वर कहते है

अत इन्हे सयुक्त स्वर भी कहते है

इनको मात्रा द्वारा भी दर्शया जा सकता है
 अ की कोई मात्रा नहीं
आ =ा
इ =ि
ई =ी
उ =ु
ऊ =ऊ
ए =े
ऐ =``
ओ =ो
ोो
ऋ=ृ
 व्यजन 
    जो ध्वनि स्वरों की सहायता से बोली जाती है उन्हें व्यजन कहते है
क वर्ग =क,ख ,ग ,घ (ड़ )
च वर्ग = च छः ज झ (
ट वर्ग =ट ठ ड  ढ (ण )
त वर्ग =त थ द ध (न)
प वर्ग =प फ ब भ (म)
अंतस्थ -य र ल व्
ऊष्म =श ष स ह

सयुक्त वर्ग  इनके अतिरिक्त हिंदी में तीन सयुक्त व्यजन भी होते है
क्ष -क+ष
त्र -त +र
ज़् +

हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यजन कुल 44 वर्ण होते है 


वर्णो के उच्चारण का स्थान
वर्ण के नाम                                        उच्चारण स्थान          वर्ण की ध्वनि
1 अ आ क वर्ग                                   कंठ कोमल तालु             कंठ्य

2 इ ई च वर्ग                                         तालु                                तालव्य

3 ऋ ट वर्ग य श                                   मूर्ध्दा                             मूर्ध्दन्य

4 ल्र त वर्ग ल स                                  दन्त                               दन्त्य

5 उ  ऊ प वर्ग                                     ओष्ठ                             ओष्ठ्य

6 अ>ड़ >ण >न >म                           नासिका                          नासिक्य

7 ए ऐ                                                 कंठ तालु                         कंठ -तालव्य

8 ओ औ                                             कंठ ओष्ट                         कठोष्टय

9  व्                                                   दन्त ओष्ठ                     दन्तोष्ठ्य

10  ह                                                 स्वर यंत्र                           अलिजिह्वा


स्पर्शी =जिन व्यजनो के उच्चारण में फेफड़ों से छोड़ी जाने वाली हवा वागयतर के किसी अवयव का स्पर्श करती है और फिर बाहर निकलती है निम्नलिखित व्यजन स्पर्शी है

 क ख ग घ       ट  ठ  ड़ ढ़ 
त थ द ध         प फ ब भ 

संघर्षी =जिन व्यजन के उच्चारण में दो उच्चारण अवयव इतनी निकटता पर आ जाते है की बीच  का मार्ग छोटा हो जाता है तब वायु उनसे घर्षण करती हुई निकलती है ऐसे संघर्षी व्यजन है

श ष स ह ख ज फ 

स्पर्शी संघर्षी = जिन व्यजन के उच्चारण में स्पर्श का समय अपेक्ष्कृत अधिक होता है और उच्चारण के बाद वाला भाग सघर्षी हो जाता  वे स्पर्श संघर्षी कहलाते है

च छ ज झ 

नासिक्य =जिनके उच्चारण में हवा का प्रमुक अंश नाक से निकलता है
ड ञ् णं न म 

पार्शिवक =जिनके उच्चारण में जिह्वा का अगला भाग मसूड़े  को छूता  है और वायु पाशर्व  आस पास  से निकल जाती है वे पार्श्विक है

ल 

प्रकम्पित +जिन व्यजनो के उच्चारण में जिह्वा को दो तीन बार कंपन  करना पड़ता है

र 

उत्क्षिपत =जिनके उच्चारण में जिह्वा की नोक झटके से निचे गिरती है तो वह  उत्क्षिपत (फेका हुआ) ध्वनि कहलाती है

ड ढ़ 

सघर्ष हीन = जिन ध्वनियों के उच्चारण में हवा बिना किसी संघर्ष के बाहर निकलती है वे संघर्ष हीन  ध्वनियों कहलाती है

य व् 
 इन्हे अर्धस्वर भी कहते है

घोष = घोष का अर्थ है नाद या गूंज | जिन वर्ण के उच्चारण करते समय गुंज होती है उन्हें घोष वर्ण कहते है

क  ख वर्ग व सभी वर्गो के अंतिम तीन वर्ण घोष 
ग  घ ड़ ज़ झ  आदि तथा य र ल व् ह घोष वर्ण कहलाते है

इसके अतिरिक्त सभी स्वर भी घोष होते है  इनकी कुल सख्या 33 होती है

अघोष = इन वर्णो के उच्चारण में प्राणवायु में कम्पन नहीं होता है अत: कोई गुज नहीं होती है व् अघोष वर्ण की होते है इनकी  सख्या 13  होती है

सभी वर्गो के पहले व् दूसरे वर्ण क ख च छ श ष  स  आदि सभी वर्ण अघोष है


श्वास वायु के आधार पर वर्णो के दो  भेद है =अल्प प्राण वह महाप्राण

अल्प प्राण =जिन वर्णो के उच्चारण में श्वास वायु कम मात्रा में मुख विवर से बाहर निकलती है

क व् च वर्गो का पहला तीसरा और पांचवा  वर्ण (क,ग,ड़ ,च,ज,ट ,ड ,ठ ,द ,न,प,ब ,म,)तथा य र ल व् और सभी स्वर अल्प प्राण है

महाप्राण = जिन  वर्णो के उच्चारण में श्वास वायु अधिक मात्रा में मुख विवर से बाहर निकलती है वह महाप्राण ध्वनिया कहते है
प्रत्येक वर्ण का दूसरा और चौथा वर्ण (ख़ घ छ झ ठ ढ़ थ ध फ भ ) तथा श ष स ह महाप्राण है


अनुनासिक =अनुनासिक ध्वनियाँ उच्चरण में नाक का सहयोग रहता है



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