Sunday, 30 July 2017

भाग -2 का बाकी


 अरबी शब्द =
         तूफान तराजू तमाशा दुनिया दफतर दौलत नतीजा नशा नकदफ़क़ीर फैसला बहस मदद मतलब लिफाफा शादी शंतरज हलवाई हुक्म

फारसी के शब्द =
           अखबार अमरुद आराम आवारा आसमान आतिशबाजी आमदनी कमर कारीगर कमीना कुश्ती खराब खर्च खून खुश्क गवाह गुब्बारा गुलाब जानवर जेब जगह जमीन जलेबी तनख्वाह तबाह दर्जी दवा दरवाजा दीवार नमक नेक बीमार मजदूर मलाई यार लगाम शेर सूखा सौदागर आदि शब्द

पुर्तगाली शब्द =
       अचार अगस्त आलपिन आलू आया अन्नानास इस्पात कनस्तर कारबन कमीज कमरा गमला गोभी गोदाम चाबी पादरी पिस्तौल बाल्टी मेज संतरा साबुन आदि शब्द

संकर शब्द=
           हिंदी के वे शब्द जो अलग- अलग भाषाओ को मिलाकर बना लिए गये है उन्हें संकर शब्द कहते है
अग्नि बोट          अग्नि (संस्कृत)  +  बोट (अंग्रेजी)
टिकिट -घर         टिकिट (अंग्रेजी) + घर  (हिंदी )
कवि -दरबार        कवि  (हिंदी )      +दरबार (फ़ारसी)
नेक -नीयत        नेक     (फ़ारसी)   + नीयत (अरबी )  आदि शब्द संकर शब्द है


रचना के आधार पर =
     शब्दों की रचना प्रक्रिया के आधार पर हिंदी भाषा के शब्दों के तीन भेद किये जाते  है

  1  रूढ़ शब्द                   2    यौगिक शब्द         3 योग शब्द


1  रूढ़ शब्द =
             वे शब्द जो किसी व्यक्ति स्थान प्राणी और वस्तु के लिए वर्षो से प्रयुक्त होने के कारण किसी विशिष्ट अर्थ में प्रचलित हो गए है 'रूढ़ शब्द 'कहलाते है
  दूध ,गाय, रोटी ,सिंक, पेड़, पत्थर, देवता आकाश, मेंढ़क ,स्त्री ,

2  यौगिक शब्द =
                वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने है उन शब्दों का अपना पृथक अर्थ भी होता है किन्तु वे मिलकर अपने मूल शब्द से संबधित या अन्य किसी नये अर्थ का बोध कराते है यौगिक  शब्द कहलाते है
       समस्त संधि समास उपसर्ग तथा प्रत्यय से बने शब्द यौगिक  शब्द कहलाते है

 विधायल,प्रेमसागर,प्रतिदिन,दूधवाला,राजमाता,ईश्वर-प्रदत,राष्टपति,महर्षि,कृष्णर्पण,चिड़ीमार,

3 योगरूढ़ शब्द=
         वे यौगिक शब्द जिनका निर्माण पृथक ,पृथक अर्थ देने वाले शब्दों के योग से होता है किन्तु वे अपने द्वारा प्रतिपादित अनेक अर्थो में से किसी एक विशेष अर्थ के लिए ही प्रतिपादित होकर रूढ़ ही गये  ऐसे शब्दों को योगरूढ़ शब्द कहलाते है
     पीताम्बर,शब्द पीत और अम्बर ,के योग से बना है गजानन  षडानन ,लम्बोदर,त्रिनेत्र,घनश्याम,विषधर,चक्रधर,दशानन,मुरारी,जलज,जलद ,आदि शब्द

मुख्य प्रश्न 

1 निम्नलिखित में तत्सम शब्द कौनसा है
      i  उल्लू             ii  ऊंट   iii गधा    iv  घोटक

2   निम्नलिखित  तद्भव शब्द कौनसा है
       i  अग्नि    ii ईख    iii   दधि    iv  नयन

3  निम्न में से देशज शब्द कौनसा है
     i  घेवर    ii  मिष्टान्न   iii बैल  iv   खीर

4  योगरूढ़ शब्द का चयन कीजिए
     i आकाश  ii गजानन iii  विधायल iv  दूधवाला




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rajasthan SI HINDI part 2

                                शब्द विचार    2 

एक या एक से अधिक वर्णो से बने सार्थक ध्वनि -समूह को शब्द कहते है

1 उतप्ति के आधार पर =
           उतप्ति एवं स्त्रोत के आधार पर भाषा में शब्दों को निम्न 4 उपभेदो में बाटा गया है

(i) तत्सम शब्द =
               किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा में शब्दों को तत्सम शब्द कहते है | हिंदी की मूल भाषा (संस्कृत )के वे शब्द ,जो हिंदी में ज्यो के त्यों प्रयुक्त होते है इन्हे तत्सम शब्द कहते है

  जैसे -अट्टालिका ,अर्पण ,आम्र ,उष्ट्र,कर्ण ,गर्दभ,

(ii)तदभव शब्द =
                 उच्चारण की सुविधानुसार संस्कृत के वे शब्द जिनका हिंदी में रूप परिवर्तित हो गया ,हिंदी में तद्भ्व शब्द कहलाते है
  जैसे -चंद्र से चाँद ,अग्नि से आग ,जिह्वा से जीभ आदि


तत्सम  एंव तदभव शब्दों की सूची








(iii) देशज शब्द
                सी भाषा में प्रचलित वे शब्द जो किसी जगह की जनता द्वारा आवश्यकतानुसार
 गढ़ लिए जाते है देशज शब्द कहलाते है अर्थात भाषा के अपने शब्दों को देशज शब्द कहते है साथ ही वे शब्द भी देशज की श्रेणी में आते है जिनके स्त्रोत का कोई पता नहीं है तथा हिंदी में  संस्कृतेतर भारतीय भाषाओ से आ गए है

 (अ) अपनी गढ़ंत से बने शब्द -
             उटपटांग,उधम अगोछ कंजड़ खटपट खचाखच खर्राटा खिड़की खुरपा गाडी गडगडाना गड़बड़ घेवर चम्मच चहचहाना चिमटा  चाट चुटकी चिंघाड़ना चट्टी छोहरा छल -छलाना झगड़ा टट्टू ठठेरा डगमगाना ढक्कन  ढांचा ढोर दीदी पटाखा परात पगड़ी पेट फटफट बड़बड़ाना बटलोई बाप बुद्धू बलबलाना मकई मिमियाना मुक्का लपलपाना लकड़ी लुग्दी लोटपोट लोटा हिनहिना

(आ) द्रविड़ जातियों की भाषा से आये देशज शब्द =
                                                 अनल कज्जल नीर पंडित माला कांच  कटी चिकना टाला लूँगी डोसा इडली

(i) कॉल संस्थाल आदि जातियों की भाषा से बने हिली के देशज शब्द =
                                                    कदली से केला कर्पास सरसो आदि शब्द देशज शब्द है
(ii) विदेशी शब्द =
                राजनीतिक ,आर्थिक धार्मिक एंव सांस्कृतिक कारणों से किसी भाषा में अन्य देशो की भाषा ओ  से भी शब्द आ जाती है उन्हें विदेशी शब्द कहती है

(i)  अंग्रेजी भाषा के शब्द =
                  अंडरवियर अल्मारी अस्पताल इंजीनियर एक्स-रे ऍम-पी क्लास क्लर्क कलेक्टर कॉपी कार कैमरा केस कोट क्रिकेट गार्ड टायर ट्यूब टीचर ट्रक डबल बैड डॉक्टर ड्राप्ट निब पोस्टकार्ड पेन प्लेटफार्म पाउडर आदि शब्द
(ii)अरबी शब्द =
             अक्ल अजबी अदालत आजाद आदमी इज्जत इलाज इन्तजार इनाम इस्तीफा औलाद कमाल कब्जा कानून कुर्सी किताब किस्मत कबीला कीमत गरीब  जनाब जलसा जुर्माना जिला तहसील  ताकत



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Saturday, 29 July 2017

ALL INDIAN GK: rajasthan ASI HINDI

ALL INDIAN GK: rajasthan ASI HINDI : Varna Vichar, in the grammar of a language, from the int ...

rajasthan ASI HINDI part 1

                                                               वर्ण विचार 
किसी भाषा के व्याकरण ग्रंथ में इनतीन से तत्वों की विशेष एवं आवश्यक रूप  विवेचना  की  जाती है


 1 वर्ण 2 शब्द  3 वाक्य
1 हिंदी में वर्ण 44 होते है जिन्हे दो भागो में बाटा है स्वर और व्यजन 


1 स्वर =ऐसी ध्वनिया जिनको उच्चारण करने में अन्य किसी ध्वनि की सहायता की आवश्यकता नहीं होती  उन्हें स्वर कहते है
       स्वर 11 होते है अ,आ,इ ई उ ऊ ए ऐ ओ ोो ऋ
इन्हे दो  भागो  बाटा जा सकता है ह्स्व  एवं दीर्घ

जिन स्वरों के उच्चारण में अपेक्षाकृत कम समय लगे ,उन्हें ह्स्व स्वर एवं जिन स्वरों को बोलने में अधिक समय लगे  उन्हें दीर्घ स्वर कहते है

अत इन्हे सयुक्त स्वर भी कहते है

इनको मात्रा द्वारा भी दर्शया जा सकता है
 अ की कोई मात्रा नहीं
आ =ा
इ =ि
ई =ी
उ =ु
ऊ =ऊ
ए =े
ऐ =``
ओ =ो
ोो
ऋ=ृ
 व्यजन 
    जो ध्वनि स्वरों की सहायता से बोली जाती है उन्हें व्यजन कहते है
क वर्ग =क,ख ,ग ,घ (ड़ )
च वर्ग = च छः ज झ (
ट वर्ग =ट ठ ड  ढ (ण )
त वर्ग =त थ द ध (न)
प वर्ग =प फ ब भ (म)
अंतस्थ -य र ल व्
ऊष्म =श ष स ह

सयुक्त वर्ग  इनके अतिरिक्त हिंदी में तीन सयुक्त व्यजन भी होते है
क्ष -क+ष
त्र -त +र
ज़् +

हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यजन कुल 44 वर्ण होते है 


वर्णो के उच्चारण का स्थान
वर्ण के नाम                                        उच्चारण स्थान          वर्ण की ध्वनि
1 अ आ क वर्ग                                   कंठ कोमल तालु             कंठ्य

2 इ ई च वर्ग                                         तालु                                तालव्य

3 ऋ ट वर्ग य श                                   मूर्ध्दा                             मूर्ध्दन्य

4 ल्र त वर्ग ल स                                  दन्त                               दन्त्य

5 उ  ऊ प वर्ग                                     ओष्ठ                             ओष्ठ्य

6 अ>ड़ >ण >न >म                           नासिका                          नासिक्य

7 ए ऐ                                                 कंठ तालु                         कंठ -तालव्य

8 ओ औ                                             कंठ ओष्ट                         कठोष्टय

9  व्                                                   दन्त ओष्ठ                     दन्तोष्ठ्य

10  ह                                                 स्वर यंत्र                           अलिजिह्वा


स्पर्शी =जिन व्यजनो के उच्चारण में फेफड़ों से छोड़ी जाने वाली हवा वागयतर के किसी अवयव का स्पर्श करती है और फिर बाहर निकलती है निम्नलिखित व्यजन स्पर्शी है

 क ख ग घ       ट  ठ  ड़ ढ़ 
त थ द ध         प फ ब भ 

संघर्षी =जिन व्यजन के उच्चारण में दो उच्चारण अवयव इतनी निकटता पर आ जाते है की बीच  का मार्ग छोटा हो जाता है तब वायु उनसे घर्षण करती हुई निकलती है ऐसे संघर्षी व्यजन है

श ष स ह ख ज फ 

स्पर्शी संघर्षी = जिन व्यजन के उच्चारण में स्पर्श का समय अपेक्ष्कृत अधिक होता है और उच्चारण के बाद वाला भाग सघर्षी हो जाता  वे स्पर्श संघर्षी कहलाते है

च छ ज झ 

नासिक्य =जिनके उच्चारण में हवा का प्रमुक अंश नाक से निकलता है
ड ञ् णं न म 

पार्शिवक =जिनके उच्चारण में जिह्वा का अगला भाग मसूड़े  को छूता  है और वायु पाशर्व  आस पास  से निकल जाती है वे पार्श्विक है

ल 

प्रकम्पित +जिन व्यजनो के उच्चारण में जिह्वा को दो तीन बार कंपन  करना पड़ता है

र 

उत्क्षिपत =जिनके उच्चारण में जिह्वा की नोक झटके से निचे गिरती है तो वह  उत्क्षिपत (फेका हुआ) ध्वनि कहलाती है

ड ढ़ 

सघर्ष हीन = जिन ध्वनियों के उच्चारण में हवा बिना किसी संघर्ष के बाहर निकलती है वे संघर्ष हीन  ध्वनियों कहलाती है

य व् 
 इन्हे अर्धस्वर भी कहते है

घोष = घोष का अर्थ है नाद या गूंज | जिन वर्ण के उच्चारण करते समय गुंज होती है उन्हें घोष वर्ण कहते है

क  ख वर्ग व सभी वर्गो के अंतिम तीन वर्ण घोष 
ग  घ ड़ ज़ झ  आदि तथा य र ल व् ह घोष वर्ण कहलाते है

इसके अतिरिक्त सभी स्वर भी घोष होते है  इनकी कुल सख्या 33 होती है

अघोष = इन वर्णो के उच्चारण में प्राणवायु में कम्पन नहीं होता है अत: कोई गुज नहीं होती है व् अघोष वर्ण की होते है इनकी  सख्या 13  होती है

सभी वर्गो के पहले व् दूसरे वर्ण क ख च छ श ष  स  आदि सभी वर्ण अघोष है


श्वास वायु के आधार पर वर्णो के दो  भेद है =अल्प प्राण वह महाप्राण

अल्प प्राण =जिन वर्णो के उच्चारण में श्वास वायु कम मात्रा में मुख विवर से बाहर निकलती है

क व् च वर्गो का पहला तीसरा और पांचवा  वर्ण (क,ग,ड़ ,च,ज,ट ,ड ,ठ ,द ,न,प,ब ,म,)तथा य र ल व् और सभी स्वर अल्प प्राण है

महाप्राण = जिन  वर्णो के उच्चारण में श्वास वायु अधिक मात्रा में मुख विवर से बाहर निकलती है वह महाप्राण ध्वनिया कहते है
प्रत्येक वर्ण का दूसरा और चौथा वर्ण (ख़ घ छ झ ठ ढ़ थ ध फ भ ) तथा श ष स ह महाप्राण है


अनुनासिक =अनुनासिक ध्वनियाँ उच्चरण में नाक का सहयोग रहता है



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