पृथ्वी की आतंरिक सरचना
वैज्ञानिको ने पृथ्वी की आंतरिक सरचना की जानकारी के लिए निम्न स्रोतों को आधार बनाया है
(1) अप्राकृतिक स्रोत (१) -घनत्व आधरित स्रोत (२) -दाब आधारित स्रोत (३) - ताप आधारित स्रोत
(2) पृथ्वी की उत्पति संबंधी स्रोत
(3) प्राकृतिक स्रोत (१) - ज्वालामुखी आधारित स्रोत (२) उल्का पिंड से प्राप्त साक्ष्य (३) - भूकम्पीय तरंगो पर आधरित स्रोत
1 अप्राकृतिक साधन (अर्टिफिकल sources )
1 घनत्व (density)-पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 है जब की भू -पर्पटी (crust ) का घनत्व लगभग 3.0 है इसके अनुसार यह पता चलता है की पृथ्वी का क्रोड (अंतरतम) का औसत
घनत्व 5.5 से अधिक होगा | वही
साधारण यह घनत्व 11 माना जाता है | जो की ज
ल से 7 से 8 गुना भारी है| इन सबसे पता चलता है की पृथ्वी के क्रोड (core)का घनत्व सर्वाधिक है
2 दबाव (pressure)-क्रोड (core) के अधिक घनत्व के संबध में चटटानो के भार व दबाव का संदर्भ लिया जा सकता है यधपि दबाव बढ़ने से घनत्व बढ़ता है किन्तु प्रत्येक चट्टान की अपनी एक सीमा है जिससे अधिक इसका घनत्व नहीं हो सकता है चाहे दबाव कितना ही अधिक क्यों न कर दिया जाए इसके अनुसार पता चलता है की आंतरिक भाग की चट्टाने अधिक घनत्व वाली भारी धातुओं से बानी है
3 तापक्रम (temperature)- सामान्य रूप से
32 मीटर की गहराई पर तापमान में 1*c की वृध्दि होती है परन्तु बढ़ती गहराई के साथ तापमान की वृध्दि दर में भी गिरावट आती है
(१)- प्रथम 100 किमी की गहराई में प्रत्येक किमी पर 12*C की वृध्दि होती है उसके बाद के 300 किमी की गहराई में प्रत्येक किमी पर 2*C की वृध्दि होती है एवं उसके बाद प्रत्येक किमीकी गहराई पर 1*C तापमान की वृध्दि होती है पृथ्वी के आंतरिक भाग से ऊष्मा का प्रवाह बाहर की और होता रहता है जो
तापीय संवहन तरंगो के रूप में होता है
प्राकृतिक साधन (natural sources)
1 ज्वालामुखी क्रिया -ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाला तप्त व तरल मैग्मा के आधार पर स्पष्ट होता है की पृथ्वी की गहराई में कही न कही ऐसी परत अवश्य है जो तरल या अर्द्धतरल अवस्था में है ऐसी को मैग्मा भंडार (magma chamber) कहा गया है जवालामुखी उदगार से पृथ्वी की आंतरिक बनावट के संबंध में कोई निश्चित जानकारी नहीं मिल पाती है
2 भूकम्प विज्ञानं के साक्ष्य -भूकम्प विज्ञान वह विज्ञान है जिसमे भूकम्पीय लहरों का
सीस्मोग्राप यंत्र (seismograph) द्वारा अंकन कर अध्ययन किया जाता है यह एक साधन है जिससे पृथ्वी की आतंरिक सरचना के बारे में प्रत्यक्ष रूप से जानकारी प्राप्त होती है
3 उल्का पिण्डो से प्राप्त साक्ष्य -उल्का पिंड वे ठोस संरचनाए है जो स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष में तैर रही है कभी कभी पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव क्षेत्र में आने पर ये पिंड पृथ्वी से टकरा जाते है पृथ्वी पर गिरने के दौरान अत्यधिक घर्षण के कारण उल्का पिंडो की बाहरी परत नष्ट हो जाती है और आंतरिक भाग अनावृत हो जाता है उनके केंन्द्रीय भाग में पाए जाने वाले भारी पदार्थों के संघटन के आधार पर ही पृथ्वी की आंतरिक सरचना का अनुमान लगाया जाता है
पृथ्वी की उत्पति से सम्बंधित सिद्धांतो के साक्ष्य
1 ग्रहाणु परिकल्पना- यह पृथ्वी के क्रोड (अंतरतम) को ठोस मानती है
2 ज्वारीय परिकल्पना एवं वायव्य निहारिका परिकल्पना -पृथ्वी को तरल माना गया है इससे पृथ्वी के आंतरिक भाग की दो ही संभावनाए बनती है या तो तरल या ठोस
पृथ्वी का रासायनिक संगठन एवं विभिन्न परते
international Union of Geodesy and Geophysics (IUGG) के शोध के आधार पर पृथ्वी के आतंरिक भाग को तीन वृहद मंडलो में विभक्त किया जाता है
1 भू -पर्पटी (crust)-भू पर्पटी की औसत मोटाई 30 KM मानी जाती है वही कही जगह पर इसकी मोटाई 100 KM बताई गई है
= इसके दो भाग है ऊपरी क्रस्ट वह निचली क्रस्ट
=क्रस्ट के ऊपरी भाग में P लहर की गति 6.1 km प्रति सेकेंड तथा निचले भाग में इसकी गति 6 .9 km प्रति सेकेण्ड होती है
= ऊपरी क्रस्ट का औसत घनत्व 2 .7 होता है वही निचली क्रस्ट का औसत घनत्व 3.0 है यह अंतर दबाव के कारण होता है
=ऊपरी क्रस्ट व निचली क्रस्ट के मध्य कोनराड असंबंदता कहलाती है
=क्रस्ट का निर्माण मुख्यत;सिलिका और एलुमिनियम से हुआ है
=इसे सियाल (Sial)परत भी कहा जाता है
2 मैटल (mantle)- इसको दो भागो में बाटते है 1 ऊपरी मैटल 2 निचली मैटल
= क्रस्ट के निचले आधार पर भूकम्पीय लहरों की गति में अचानक वृदि होती है और यह बढ़
कर 7.9 से 8.1 KM प्रति सेकेण्ड हो जाती है
= निचली क्रस्ट व ऊपरी मैटल के मध्य मोहोरोविक असंबंध्दता होता है और यह चट्टानों के घनत्व में परिवर्तन को दर्शाता है इसकी खोज रुसी वैज्ञानिक मोहोरोविक ने 1909 ई में की थी
=इस असंब ध्दता का विस्तार 700 KM की गहराई तक है
= ऊपरी मैटल और निचली मैटल के मध्य रेवेटी असंबंधता होता है इसका विस्तार 700 KM से 2900 KM तक होता है
=सम्पूर्ण मैटल परत का विस्तार 30 KM से 2900 KM तक है
= मैटल का आयतन पृथ्वी के कुल आयतन (volume) का लगभग 83% एवं द्रव्यमान (mass) का लगभग 68% है
= इसका निर्माण मुख्यत:सिलिका और मैग्नीशियम से हुआ है इसलिए इसे सीमा (SIMA) परत भी कहते है
= भूकम्पीय लहरों की गति के आधार पर पुन तीन भागो में बात है
= मोहो असंबध्दता से 200 KM
= 200 KM से 700 KM
= 700 KM से 2900 KM
= पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाले ज्वालामुखी के मैग्मा की पूर्ति दुर्बलता मंडल (Asthenosphere) से होती है इसे मैग्मा चैंबर भी कहते है
3 क्रोड (Core)- इसको भी दो भागो में बाट गया है (1) बाह्य क्रोड (2) आतंरिक क्रोड
= निचली मैटल के आधार पर P तरगो की गति मे अचानक परिवर्तन आता है यह गति बढ़कर 13.6 KM प्रति s सेकेण्ड हो जाती है
= निचली मैटल व बाह्य क्रोड के मध्य गुटेनबर्ग असंबध्दता भी कहते है
= गुटेनबर्ग असंबध्दता से लेकर 6371 KM तक के भाग को क्रोड कहते है
= बाह्य करोड़ की गहराई 2900 KM से लेकर 5150 KM तक है
= आंतरिक क्रोड की गहराई 5150 km से लेकर 6371 KM तक है
=बाह्य क्रोड व आतंरिक क्रोड के मध्य लैहमन असंबध्दता कहते है
= क्रोड के सबसे पारी भाग का घनत्व 10 होता है जो अंदर जाने पर 12 से 13 तथा सबसे आतंरिक भाग में 13.6 हो जाता है
= इस प्रकार क्रोड का घनत्व मैटल के घनत्व के दोगुने से भी अधिक होता है
= बाह्य क्रोड में s तरग प्रवेश नहीं करती है
= P तरग की गति 11.23 km प्रति सेकेंड रह जाती है
= इसका निर्माण मुख्यत निकेल और लोहा से हुआ है
अगर इस लेख में गलती हो तो क्षमा करना