Sunday, 12 February 2017

vaidik darshanv


  1. वेद शब्द का अर्थ जानना होता है 
  2. महृषि वेदव्यास द्धारा वेदों का वर्गीकरण किया गया है 
  3. कर्मकाण्ड का उद्देश्य सुखो की प्रप्ति व् स्वर्ग की प्रप्ति है                                             कर्मकाण्ड के तीन भाग 
  4. सहिता =यह  सरल रूप प्रदशित करती है 
  5. मंत्र =देवतो की स्तुति करने  लिए प्रयुक्त वाक्यो को मन्त्र कहते है या गध्यात्मक और पद्यात्मक रूप में सकलन है 
  6. ऋग्वेद =यह सबसे प्राचीन व् बड़ी  सहिता है इससे सम्बधित पुरोहितो को होतृ कहा जाता है 
  7. यजुर्वेद =इसका शब्दिक अर्थ है -यज  यह चम्पू शैली में है इससे सम्बंधनित पुरोहितो को अध्वर्यु कहते है 
  8. सामवेद =यह सगीत से सम्बन्धित है इससे सम्बधित पुरोहितो को उद्गाता कहते है 
  9. अथर्वेद =यह जादू,टोना,कर्षि ,सिचाई ,चिकित्सा ,राजनीती आदि से सम्बधित है इससे सम्बधित पुरोहितो को ब्राम्हण कहते है 
  10. त्रयी या वेदत्रयी =ऋग्वेद,यजुर्वेद,सामवेद कोकहते है                                                      ब्राह्मन 
  11. ऋग्वेद -ऐतरेय ,कौषीतकि 
  12. यजुर्वेद=शतपत तैतरीय 
  13. सामवेद=पंचविश षडविष,जैमिनी,अद्भत 
  14. अर्थवेद=गोपथ                                                                                                                                                                   आरण्यक 
  15. एकांत में बैठ कर लिखे गए ग्रंथो को आरण्यक कहते है यह यजो की विश्श्लेणात्मक व्याख्या करते है                                                             इन्हें कर्मकांड व् ज्ञानकाण्ड की मध्य की कड़ी है                                             ज्ञानकाण्ड (उपनिषद)
  16. उपनिषद वेदों का अंतिम भाग है 
  17. ज्ञानकाण्ड का अंतिम उदेश्य आत्माश्क्षात्कार या मोक्ष की प्रप्ति              वह गुरु के समीप बैठकर अपने अज्ञान का निवारण करना अर्थात ज्ञान की प्रप्ति करना                                                                                           by हस्त राम  मीना 

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